अनुभूति में
कुहेली भट्टाचार्य
की रचनाएँ
कविताओं में-
इंतज़ार में रहेगा सवेरा
एक बीज
घास के वक्ष से
तुम भी ठहरो
रोशनी होगी
वादा
सौंधी सुगंध
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एक बीज
इस बीज को बोना चाहती हूँ
थोड़ीbr-सी धरती चाहिए
इस बीज को सींचना चाहती हूँ
थोड़ा बादल चाहिए।
इसे हवा मिले
पुरवाई चाहिए
इसे रोशनी मिले
थोड़ा सा आकाश चाहिए।
बड़ा होगा फलेगा, फूलेगा
धरती आनंद से छा जाएगी
अमृत लोक से लाई हूँ ये बीज।
बड़ा संक्रामक रोग है इसे
प्यार का रोग, फैलाता है यह
इससे धरती पर प्यार फैलेगा।
9br
brमई
2007br
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