अनुभूति में
कमलेश यादव
की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अब मैं मन का करती हूँ
कुछ नहीं बदलेगा
कुछ बचा है हमारे बीच
चलो फिर एक बार
निर्णय |
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निर्णय
फिर दोराहे पर खड़ी मैं
निर्णय के क्षणों में
रुक गई हूँ
सोच रही हूँ
पीछे खड़ा है अतीत,
पुकारता मुझे
आगे भविष्य है, बाँहें फैलाये
निर्णय न लेना भी एक निर्णय है
तभी वर्तमान ने आवाज़ दी
आज को जियो
तुम्हारा आज ही,
आनेवाला कल बनेगा
बीता हुआ कल अब न आएगा
अचानक धुँध हट जाती है
एक दम मेरी आँखों के सामने
मेरा आज,
मेरा हाथ थाम लेता है
१ अप्रैल २०१७ |