अनुभूति में डॉ
जेन्नी शबनम
की रचनाएँ—
छंदमुक्त
में-
अंतिम पड़ाव अंतिम सफ़र
छोटी सी चिड़िया
दंभ हर बार
टूटा
देह, अग्नि और आत्मा-जाने
कौन चिरायु
पलाश के बीज गुलमोहर के फूल
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दंभ हर बार टूटा
रिश्ते बँध नहीं सकते
जैसे वक़्त नहीं बंधता,
पर रिश्ते रुक सकते हैं
वक़्त नहीं रुकता !
फिर भी कुछ तो
है समानता,
न दिखे पर दोनों
साथ है चलता !
नहीं मालूम
दूरी बढ़ी
या कि
फासला न मिटा,
पर कुछ तो है कि
साथ होने का दंभ
हर बार टूटा !
२५ अक्तूबर २०१० |