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अनुभूति में डॉ जेन्नी शबनम की रचनाएँ 

छंदमुक्त में-
अंतिम पड़ाव अंतिम सफ़र
छोटी सी चिड़िया
दंभ हर बार टूटा
देह, अग्नि और आत्मा-जाने कौन चिरायु
पलाश के बीज गुलमोहर के फूल


 

 

छोटी सी चिड़िया

स्वरचित घोंसले में अपने,
दाना पानी जोड़, जीवन भर का,
थी निश्चिन्त, छोटी सी चिड़िया !

सोची, अब चैन से जी लूँ ज़रा,
मन सा एक साथी पा,
थी खुशहाल, छोटी सी चिड़िया !

पहले झंझावत में हीं, घोंसला टूटा,
उड़ गया साथी, उसके मन का,
रह गई अकेली, छोटी सी चिड़िया !

सपने टूटे, अपने छूटे,
न दाना, न ठिकाना,
हुई बदहाल, छोटी सी चिड़िया !

सांसें अटकी, राहें तकती,
कोई तो बटोही, पार लगाए,
हुई अशक्त, छोटी सी चिड़िया !

ख़ुद से रूठी, सांसें उड़ गई,
ख़त्म हुई, उसकी कहानी,
सभी भूले, थी एक, छोटी सी चिड़िया !

२५ अक्तूबर २०१०

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