अनुभूति में
भोलानाथ कुशवाहा
की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
कविता लौटी नहीं
कहीं से
बिना फँसे
राग दरबारी की अवतारणा
सबके लिये
|
|
राग दरबारी की अवतारणा
राग दरबारी की
अवतारणा
के साथ ही
नाचने लगे मुखौटे
थिरकने लगीं
कठपुतलियाँ
वाह-वाह
तालियों की गड़गड़ाहट ने
रंगीनियत
बिखेर दी
मुग्ध थी सभा
राजा ने
दरबार का नजारा
देखा
मुस्कुराया
उसने मंत्री से कहा-
'अभी राजतंत्र को
कोइ ख़तरा नहीं'
वह लौट गया
अपने
विश्राम कक्ष में
१ फरवरी २०१६
|