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अनुभूति में उत्कर्ष अग्निहोत्री की रचनाएँ—

अंजुमन में--
अपना रुतबा छोड़ दिया
ज़माने को जब तोलती हैं किताबें
मुसलसल ज़ाफ़रानी
मेरे नजदीक गीतावली
हर घड़ी याद

 

हर घड़ी याद

हर घड़ी याद मत कीजिए
या तो आज़ाद मत कीजिए

एक नादान शागिर्द हैं
हमको उस्ताद मत कीजिए

कोई सजदा कोई बंदगी
इश्क के बाद मत कीजिए

दिल की कुदरत है इक फूल की
उसको फौलाद मत कीजिए

शायरी मर न जाए कहीं
इतनी इमदाद मत कीजिए

उसकी यादें हैं इस शेर में
इसपे इरशाद मत कीजिए

१ दिसंबर २०२३

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