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अनुभूति में तरुणा मिश्रा की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आ गए तूफान में
इक जरा सी दिल्लगी
न तुम बेचैन होते
मिलता नहीं
मुझसे मत पूछो

 

मुझसे मत पूछो

मुझसे मत पूछो मेरे हाल पे क्या गुज़री है
मुझको अपनाने से ये ज़िंदगी जब मुकरी है

वैसे बीमारी को मेरी इक ज़माना गुज़रा
उनको देखे से तबीयत मेरी कुछ सुधरी है

उसके आने से ही महफ़िल में है ख़ुश्बू फैली
आस्माँ से कोई नूरानी परी सी उतरी है

हाए! रस्मन भी कोई पूछे अपना दर्दो-ग़म
ऐ ख़ुदा! दुनिया में तेरी एक ऐसी नगरी है

कुछ ना शफ्फाक़ ज़माने ने बिगाड़ा तेरा
'तरु' तेरे सर पे क्या कोई दुआ की छतरी है
 
१ जून २०१५

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