अनुभूति में
सुशील गौतम की रचनाएँ-
अंजुमन में-
असर मेरी मुहब्बत का
एक कतरा हूँ
तुम गए तो
तुम मिले तो
सुलगती धूप में
संकलन में-
नया साल-
आया फिर नया वर्ष |
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असर मेरी मुहब्बत का
असर मेरी मुहब्बत का दिखा तेरी नज़र में है
खबर ये आग सी फैली हुई सारे शहर में है।
कठिन है रहगुज़र फिर भी नहीं है फिक्र रत्ती भर
नज़र पुर नूर दिलवर साथ में जबसे सफ़र में है।
नहीं देखा कभी मैंने कि पहुँचा हूँ कहाँ तक मैं
चला जिस वक़्त से घर से फ़कत मंज़िल नज़र में है।
सहज भी है सरल भी है लबालब प्रीत से जीवन
ज़हर सारा भरा इसमें अगर में है मगर में है ।
मधुर है ये मदिर भी है ख़ुमारी की सतत धारा
जिसे हम प्यार कहते हैं लहर में है भँवर में है।
दरो-दीवार गलियों से मदिर सी आ रही खुश्बू
वो मेरा यार प्यारा आज फिर आया शहर में है। २० जनवरी २०१४ |