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याद आया फिर
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अजनबी सी राह पर
आये बादल
धार के विपरीत चलना

भाग रहे सब
मौसम सुहाना

'

याद आया फिर

याद आया फिर पुराना मीत कोई
आज मैंने गुनगुनाया गीत कोई

बादलों से भर गया आकाश लेकिन
आँधियों से क्यों हुआ भयभीत कोई

भावनाएँ प्यार की लेना समझ तुम
हार कर ही मिल सकेगी जीत कोई

कर चलो फरियाद दिल की बात सुनकर
फिर न होगा सामने विपरीत कोई

बह रहा पानी नदी का गीत गाता
शांत लहरें बुन रहीं संगीत कोई

१५ दिसंबर २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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