अनुभूति में
सुरेन्द्रपाल वैद्य की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
जरा सी बात पर
मन की बातों को
याद आया फिर
सही है ये
अंजुमन में-
अजनबी सी राह पर
आये बादल
धार के विपरीत चलना
भाग रहे सब
मौसम
सुहाना |
' |
सही है ये
सही है ये हसीनों का जमाना है
किसी पर भी न मन ये आशिकाना है
मिलेगा कुछ नहीं आँसू बहाने से
अभी आँखों में सपनों को सजाना है
कहो नाराज होकर क्या मिला तुमको
यहाँ हर पल स्वयं को क्यों सताना है
हमारे भी बहुत ही भा गया मन को
बनाया जो हसीं तुमने बहाना है
सदा खिलते नहीं हैं फूल बगिया में
खिजा को भी असर अपना दिखाना है
बहुत देखा किए सुन्दर नजारे पर
नहीं रुकना पथिक को दूर जाना है
१५ दिसंबर २०१६ |