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अनुभूति में सुरेन्द्रपाल वैद्य की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
जरा सी बात पर
मन की बातों को
याद आया फिर
सही है ये

अंजुमन में-
अजनबी सी राह पर
आये बादल
धार के विपरीत चलना

भाग रहे सब
मौसम सुहाना

'

आये बादल

गर्मी की तड़पन से सब को राहत देने आये बादल,
सूखी प्यासी धरती माँ की प्यास बुझाने आये बादल।

कल तक खूब बहा करते थे सबकी प्यास बुझाते थे जो,
उन नदियोँ नालों को भरकर फिर सरसाने आये बादल।

सूखे पेड़ों के झुरमुट में व्याकुल पंछी के चूजों को,
हरियाली की शीतलता का बोध कराने आये बादल।

घन गर्जन कर इक दूजे से जब मिलते होते मतवाले,
चमकाते नभ सारा बिजली कड़क गिराने आये बादल।

सागर का पानी पर्वत पर बौछारों में बरसा जाते,
हिम की चादर ऊँचाई पर खूब बिछाने आये बादल।

बिन छातों के भीग रहे हैं जो पानी की बौछारों में,
ऐसे मौला मस्त जनों को खूब रिझाने आये बादल।

७ अप्रैल २०१४

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