अनुभूति में
पंकज कुमार मिश्र वात्स्यायन की रचनाएँ—
अंजुमन में—
कहे मादरे वतन
कैसे कह दूँ, अच्छा है
गुनगुना दे सखी
बता दे मन
ये ही इनाम है
हे! परी हो क्या
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बता दे मन
बता दे मन, ये माजरा क्या है।
भटकने की वजह, भला क्या है।
गवाँ के चैन, चाहता किसको।
ठहरने का तेरे, पता क्या है।
न जाने तेरी, प्यास है कैसी।
बता दे हाँ, तुझे नशा क्या है।
निगाहों में ये, शब भी बीतेगी।
मुझे जगाने की, कथा क्या है।
कि तय ये आज ही, हुआ फिर से।
सितारे गिनने की, प्रथा क्या है।
उजाला तेज़ ये हुआ कैसा।
मैं भी देखूँ, नया मिला क्या है।
१ अगस्त २०१६ |