अनुभूति में
ओंकार
सिंह विवेक की रचनाएँ—
अंजुमन में-
आँधियों में दिया
प्यार-वफा
सबकी नजर में
शिकायत कुछ नहीं
हर तरफ जंग
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शिकायत कुछ नहीं
शिकायत कुछ नहीं है जिंदगी से
मिला जितना मुझे हूँ खुश उसी से
जरूरत और मजबूरी जहां में
करा लेती है सब कुछ आदमी से
असर जो कर न पाए जह्र-ओ-दिल पर
नहीं कुछ फायदा उस शायरी से
उसे अफसोस है अपने किए पर
पता चलता है आँखों की नमी से
न छोड़ेगा जो उम्मीदों का दामन
वो होगा आशना इक दिन खुशी से
यकीं है जीत ही लेंगे दिलों को
करेंगे गुफ्तगू जब सादगी से
'विवेक' उनको मुकद्दर से गिला है
हुए नाकाम जो अपनी कमी से
१ जुलाई २०२२
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