अनुभूति में
ओंकार
सिंह विवेक की रचनाएँ—
अंजुमन में-
आँधियों में दिया
प्यार-वफा
सबकी नजर में
शिकायत कुछ नहीं
हर तरफ जंग
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हर तरफ जंग
हर तरफ जंग की अलामत है
अम्न पर खौफ-सा मुसल्लत है
क्या करें उनसे कुछ गिला-शिकवा
तंज करना तो उनकी आदत है
मुजरिमों को नहीं है डर कोई
खौफ में अब फकत अदालत है
हमने जुल्मत को रौशनी न कहा
उनको हमसे यही शिकायत है
पूछ लेते हैं हाल-चाल कभी
दोस्तों की बड़ी इनायत है
बात करते हैं फूल झरते हैं
उनके लहजे में क्या नफासत है
जंग से मसअले का हल होगा
ये भरम पालना हिमाकत है
१ जुलाई २०२२
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