अनुभूति में
ओंकार
सिंह विवेक की रचनाएँ—
अंजुमन में-
आँधियों में दिया
प्यार-वफा
सबकी नजर में
शिकायत कुछ नहीं
हर तरफ जंग
|
|
प्यार-वफा
प्यार-वफा से जिनको रगबत होती है
वो क्या जाने कैसी नफरत होती है
बैठें दो पल माँ-बापू के पास कभी
बच्चों को कब इतनी फुर्सत होती है
करते हैं ताजीम हमेशा औरों की
जिन लोगों की जग में इज्जत होती है
सबमें केवल नुक्स निकाला करते हैं
कुछ लोगों की कैसी आदत होती है
रहते हैं हर वक्त करीब गुलाबों के
काँटों की क्या अच्छी किस्मत होती है
साँप बना देते हैं पल में रस्सी का
कुछ लोगों की ऐसी फितरत होती है
रोक सके जो राह 'विवेक' उजाले की
जुल्मत में कब इतनी हिम्मत होती है
१ जुलाई २०२२
|