अनुभूति में
ओंकार
सिंह विवेक की रचनाएँ—
अंजुमन में-
आँधियों में दिया
प्यार-वफा
सबकी नजर में
शिकायत कुछ नहीं
हर तरफ जंग
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सबकी नजर में
चढ़ गया सबकी नजर में
बात है कुछ उस बशर में
सच का हो कैसे गुजारा
छल-कपट के इस नगर में
पाँव के छाले न देखे
हमने मंजिल की डगर में
हमसफर भी है जरूरी
जिंदगानी के सफर में
रौशनी की कौन सुनता
थी अँधेरों के असर में
कोई भी कब है मुकम्मल
कुछ कमी है हर बशर में
क्या भला अखबार पढ़ना
डर मिलेगा हर खबर में
१ जुलाई २०२२
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