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अनुभूति में ममता किरण की रचनाएँ

हाइकु में-
टँके सितारे

नई रचनाएँ--
इक दूजे में
छुपा है दिल में
जाने कहाँ चले गए
याद आया
ये ख्वाहिश है

अंजुमन में—
आज मंज़र थे
कोई आँसू बहाता है
खुदकुशी करना
दायरे से
बाग जैसे गूँजता है पंछियों से
रात जाएगी सुबह आएगी
हवा डोली है
होली आई है

 

टँके सितारे (सोलह हाइकु)

टके सितारे
सज गई संध्या की
नीली चूनर।

अर्थ व्यवस्था
मज़बूती की ओर
मरे किसान।

महान दिल्ली
निडर बलात्कारी
भयभीत स्त्री।

काली कमाई
चढ़ा दिया प्रसाद
हुए निश्चिंत।

साथ तुम्हारा
ज़िन्दगी की धूप में
शीतल छाया।

मामूली बात
भड़के जज्बात
हुआ हादसा।

दो अनजाने
साथ थे संयोग से
जीवन भर।

ढ़ेरों सपने
ले के आया था किंतु
खोया भीड़ में।

प्यारा मौसम
बहार ही बहार
पर तू नहीं।

तुमसे दूर
यादों में लिपटी मैं
साथ तुम्हारे।

खुश है झूठ
लटकी तलवार
सच के गले।

बिखर गया
जीवन की साँझ में
उदास फूल।

तेरी हेकड़ी
खूब देखली मैंने
गुब्बारे जैसी।

बोले जो कागा
छत की मुँडेर पे
तो आया कोई।

काँच ही तो है
बिखर जायेगा ये
टूटेगा जब।

दर्द अपना
बयां कर तुमसे
पाया सुकून।

१९ सितंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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