अनुभूति में ममता
किरण की रचनाएँ
नई रचनाएँ--
इक दूजे में
छुपा है दिल में
जाने कहाँ चले गए
याद आया
ये ख्वाहिश है
अंजुमन में—
आज मंज़र थे
कोई आँसू बहाता है
खुदकुशी करना
दायरे से
बाग जैसे गूँजता है पंछियों से
रात जाएगी सुबह आएगी
हवा डोली है
होली आई है
|
|
इक दूजे में
इक दूजे में खोना है
चाँद गगन सा होना है
दो ही मौसम होते हैं
हँसना है या रोना है
जीवन की हर इक लय में
तेरा नाम पिरोना है
क्यूँ न उनको तोड़ ही दो
जिन रिश्तों को ढोना है
उजड़ी शाखें हरी रहें
बीज प्यार के बोना है
उसको पाने की ख़ातिर
उसमें ख़ुद को खोना है
३१ जनवरी २०११
|