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अनुभूति में कमला सिंह ज़ीनत की रचनाएँ-

अंजुमन में-
उसी की मेहरबानी है
किताब करने दे
जो लोग फिक्रे अदावत में
वो मेरा है
सूना यह आसमान

 

वो मेरा है

वो मेरा है, वो मेरा मुझको बुलाता होगा
अपने ख्वाबों में, मेरी याद सुलाता होगा

जब भी इक पल के लिए, मुझको भुलाता होगा
अपने ही आप को, ऐसे में, रुलाता होगा

मेरी आमद के लिए, पलकों से, वो चुन-चुनकर
आसमाँ तारों से, हर रोज़, सजाता होगा

वो मेरी याद के, साये से, लिपटने वाला
अपने ही सीने में, इक दर्द बढ़ाता होगा

मैं ज़माने की निगाहों से रहूँ पोशीदा
दिल के खाली किसी कमरे में छुपाता होगा

उँगलियाँ फेर के, 'ज़ीनत' वो मेरी मूरत को,
जाफ़रानी किसी मिट्टी से बनाता होगा

२७ अक्तूबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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