अनुभूति में
कमला सिंह ज़ीनत की रचनाएँ-
अंजुमन में-
उसी की
मेहरबानी है
किताब करने दे
जो लोग फिक्रे अदावत में
वो मेरा है
सूना यह आसमान
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उसी की मेहरबानी है
उसी की मेहरबानी है, करम है
मेरी आँखों में पानी है, करम है
वो मुझको भूल जाये भी गम नहीं
उसी की सब निशानी है करम है
मेरे अशआर में ए मेरे मालिक
मुसलसल इक रवानी है करम है
मैं पढ़ती रहती हूँ दिन रात जिसको
वो इक जिंदा कहानी है करम है
कहाँ तक उसको जीते हम बताओ
ये दुनिया आनी जानी है करम है
ए 'ज़ीनत' दिल पे जिसके राज़ तेरा
वही एक राजधानी है करम है
२७ अक्तूबर
२०१४ |