अनुभूति में
कमला सिंह ज़ीनत की रचनाएँ-
अंजुमन में-
उसी की
मेहरबानी है
किताब करने दे
जो लोग फिक्रे अदावत में
वो मेरा है
सूना यह आसमान
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सूना यह आसमान
सूना यह आसमान लगता है
अपना खोया मकान लगता है
चाँद की रौशनी भी जुल्मत भी
ये समाँ इम्तेहान लगता है
टूटता है कोई सितारा जब
मेरे दिल पर निशान लगता है
जब भी कहता है दास्ताँ कोई
मेरा अपना बयान लगता है
रंगों - बू का फ़क़त है शैदाई
दिल मेरा बागबान लगता है
ज़ीनत जी मीर, दर्द, ग़ालिब, जौक
खुशनुमा साएबान लगता है
२७ अक्तूबर २०१४ |