अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में जयप्रकाश मिश्र की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
अगर चीनी नहीं
कहता है तू महबूब
कई साँचों से
चिकनी मिट्टी

अंजुमन में-
आँधियों के देश में
कोई जड़ी मिली नहीं
कोई सुग्गा न कबूतर
गरमजोशी है लहजे में
मेरा यूँ जाना हुआ था
वफा याद आई

सजाना मत हमें
हवा खुशबू की

 

हवा खुशबू की

हवा खुशबू की, न रंगत भी ये बहार की है
चमन की हर कली मोहताज इश्तहार की है

हो रहे जिसकी ऊँचाई के हर जगह चर्चे
जमीं पे देख परछाई उसी मिनार की है

ये दुकाँदार मिलनसार है बहुत, लेकिन
यहाँ दो कौड़ियों की चीज भी हजार की है

या हमीं से हुई है भूल जो चुना तुझको
या काबिली तेरे बदले हुए किरदार की है

आजकल सामना नाकामियाँ नहीं करतीं
कि हमने फौज उम्मीदों की यूँ तैयार की है

छुआ जिसको, जिसे देखा, था सँभाला तूने
मुझे लगता है वो हर शै तेरे आकार की है

ढालकर उसको बनायें चलो नये पुर्जे
मशीन जो कि पुरानी है या बेकार की है।

२० अप्रैल २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter