अनुभूति में
जयप्रकाश मिश्र की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
अगर चीनी नहीं
कहता है तू महबूब
कई साँचों से
चिकनी मिट्टी
अंजुमन में-
आँधियों के देश में
कोई जड़ी मिली नहीं
कोई सुग्गा न कबूतर
गरमजोशी है लहजे में
मेरा यूँ जाना हुआ था
वफा याद आई
सजाना मत हमें
हवा खुशबू की
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आँधियों के देश में
आँधियों के देश में हूँ
मैं,
इसलिए आवेश में हूँ मैं।
हूँ अगर पीछे तो क्या नहीं-
जिन्दगी की रेस में हूँ मैं ?
चुप अँधेरे ने कहा मुझसे,
रोशनी के भेस में हूँ मैं।
प्यार क्या है, पूछती हिंसा,
आज के परिवेश में हूँ मैं।
बेवफा है वो कि है मजबूर,
यार पशोपेश में हूँ मैं।
तितलियों के पंख पर लिखे,
मौसमी संदेश में हूँ मैं।
५ दिसंबर २०११ |