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अनुभूति में हस्तीमल हस्ती की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
कितनी मुश्किल
कौन धूप सा
दानिशमंदों के झगड़े
सच के हक में
सबकी सुनना

अंजुमन में-
उससे मिल आए हो
सबका यही खयाल
काम करेगी उसकी धार
जुगनू बन या तारा बन
टूट जाने तलक

सच कहना और पत्थर खाना
सच का कद
सरहदें नहीं होतीं

  सच का कद

सच का क़द झूट से बड़ा है न
आज तुमने समझ लिया है न

कैसे रोशन हो रास्ता कोई
मन का दीपक बुझा हुआ है न

इतना जल्दी ये कैसे सुलटेगा
झगड़ा तो आन_बान का है न

दुनिया ख़ामोश है अगर तो क्या
मेरा दिल मुझको टोकता है न

हाथ पर हाथ धर के बैठ गया
दूसरा भी तो रास्ता है न

जड़ में बर्बादियों की ‘हस्ती जी’
ये अना ही तो है पता है न

१० अक्तूबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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