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अनुभूति में हस्तीमल हस्ती की रचनाएँ-

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कितनी मुश्किल
कौन धूप सा
दानिशमंदों के झगड़े
सच के हक में
सबकी सुनना

अंजुमन में-
उससे मिल आए हो
सबका यही खयाल
काम करेगी उसकी धार
जुगनू बन या तारा बन
टूट जाने तलक

सच कहना और पत्थर खाना
सच का कद
सरहदें नहीं होतीं

 

दानिशमंदों के झगड़े

दानिशमंदों के झगड़े हैं
हम नादां जिनमें उलझे हैं

वो रोज़ बहाने गढता है
हम रोज़ यकीं कर लेते हैं

बडे तिलस्मी इश्क रस्ते के
सुलझे भी उलझे दिखते हैं

इश्क, उदासी,ग़म, तन्हाई
ख़ुद से मिलने के रस्ते हैं

हम शबरी के बेर सरीखे
जैसे भी हैं प्रेम भरे हैं

९ जुलाई २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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