अनुभूति में हस्तीमल हस्ती
की रचनाएँ- नई रचनाओं में-
कितनी मुश्किल
कौन धूप सा
दानिशमंदों के झगड़े
सच के हक में
सबकी सुनना
अंजुमन में-
उससे मिल आए हो
सबका यही खयाल
काम करेगी उसकी धार
जुगनू बन या तारा बन
टूट जाने तलक
सच कहना और पत्थर खाना
सच का कद
सरहदें नहीं होतीं |
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कौन है धूप सा
कौन है धूप सा छाँव सा कौन है
मेरे अन्दर ये बहरूपिया कौन है
बेरूख़ी से कोई जब मिले सोचिये
द्श्त में पेड् को सींचता कौन है
झूठ की शाख़ फल फूल देती नहीं
सोचना चाहिए सोचता कौन है
आँख भीगी मिले नींद में भी मेरी
मुझमें चुपचाप ये भीगता कौन है
अपने बारे में ‘हस्ती’ कभी सोचना
अक्स किसके हो तुम आईना कौन है
९ जुलाई २०१२ |