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कौन धूप सा
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सबकी सुनना

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उससे मिल आए हो
सबका यही खयाल
काम करेगी उसकी धार
जुगनू बन या तारा बन
टूट जाने तलक

सच कहना और पत्थर खाना
सच का कद
सरहदें नहीं होतीं

  सरहदें नहीं होतीं

उस जगह सरहदें नहीं होतीं
जिस जगह नफ़रतें नही होतीं

उसका साया घना नहीं होता
जिसकी गहरी जड़ें नहीं होतीं

बस्तियों में रहें कि जंगल में
किस जगह उलझनें नहीं होतीं

रास्ते उस तरफ़ भी जाते हैं
जिस तरफ़ मंज़िलें नहीं होतीं

मुंह पे कुछ और पीठ पे कुछ और
हमसे ये हरकतें नहीं होतीं

१० अक्तूबर २०११

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