मेरे
ख़तों को
मेरे ख़तों को जो तूने जला
दिया होता
एक मुद्दा ग़म का भुला दिया होता
झुक गई होती सरे राह हज़ारों
पलकें
शोख नज़रों को जो तूने झुका दिया होता
मिल ही जाते खुशबुओं के
ख़ज़ाने हमको
जो हवाओं ने उनका पता दिया होता
याद आ जाता मुझे गुज़रा
ज़माना फिर से
वर्क यादों का जो तूने हटा दिया होता
नज़र आते न आँखों में हमारे
आँसू
छुप कर रोना जो हमें भी सिखा दिया होता
9 अगस्त 2007
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