अनुभूति में गिरीश कुमार 'त्यागी' की रचनाएँ -
अंजुमन में चंदा के घर बैसाखी के बल पर मेरे उसके बीच मेरे ख़तों को
मेरे उसके बीच
मेरे उसके बीच ठनी है वहम की दीवार बनी है
कल तक वो मेरा अपना था संवादों की आज कमी है
मेरा भी खंजर रंगी था उसकी भी तलवार सनी है
कब ये पानी बहता होगा काई तो हमवार जमीं है
भूख से रोकर बच्चा सोया आँखों में माँ की भी नमीं है
9 अगस्त 2007
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