अनुभूति में
कुमार अनिल की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
आँख अश्कों का समंदर
ज़माने को बदलना
टूटे ख्वाबों
दिल में दर्द
पास कभी तो आकर देख
अंजुमन में-
ख्वाबों में अब आए कौन
घर से बाहर
छोटा सा उसका कद
जब से बेसरमाया हूँ
वो इस जहाँ का खुदा है
शेख बिरहमन |
|
पास कभी तो आकर देख
पास कभी तो आकर देख
मुझको आँख उठाकर देख
याद नहीं करता, मत कर
लेकिन मुझे भुलाकर देख
सर के बल आऊँगा मै
मुझको कभी बुलाकर देख
अब तक सिर्फ गिराया है,
चल अब मुझे उठा कर देख
इन पथराई आँखों में
सपने नए सजा कर देख
हार हवा से मान नहीं
दीपक नया जला कर देख
दिल की बंजर धरती पर
कोई फूल खिलाकर देख
तेरा है अस्तित्व अलग
खुद को जरा बता कर देख २ अप्रैल २०१२ |