अनुभूति में
कुमार अनिल की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
आँख अश्कों का समंदर
ज़माने को बदलना
टूटे ख्वाबों
दिल में दर्द
पास कभी तो आकर देख
अंजुमन में-
ख्वाबों में अब आए कौन
घर से बाहर
छोटा सा उसका कद
जब से बेसरमाया हूँ
वो इस जहाँ का खुदा है
शेख बिरहमन |
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ख्वाबों में अब आए कौन
ख्वाबों में अब आए कौन
देखूँ साथ निभाए कौन
सूरज, मुर्गा, चिड़िया चुप
मुझको आज जगाए कौन
दीपक रख तो आया हूँ
देखूँ इसे जलाए कौन
समय स्वयं समझा देगा
अपने और पराए कौन
मैं मुद्दत से उसका हूँ
लेकिन उसे बताए कौन
खुला छोड़ दर सोता हूँ
जाने कब आ जाए कौन
मैं खुद से ही बिछड़ा हूँ
मेरा पता बताए कौन
बिटिया भी ससुराल गयी
अब माथा सहलाए कौन
वो पत्ता है, पेड़ नहीं
पर उसको समझाए कौन
सारे जग से रूठा हूँ
आकर मुझे मनाए कौन
५ सितंबर २०११ |