अनुभूति में
अनामिका
सिंह की रचनाएँ-
गीतों में-
अनुसंधान चरित पर तेरे
अम्मा की सुध आई
चिरैया बचकर रहना
नाखून सत्ता के
राजा बाँधे शगुन कलीरे
अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है |
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ये सोचना बेकार
है
इस समय ये सोचना बेकार है
क्यों बदलता आदमी व्यवहार है
बन सको तो नेक नीयत के बनो
ज़िंदगी तुमको मिली उपहार है
जाने वाला इस जहां से कह रहा
एक दिन होना फ़ना संसार है
आदमी है अब भी आदम काल में
आदतों से अपनी वो लाचार है
दाल -रोटी यूँ मयस्सर है किसे
मिल गयी तो ईश का उपहार है
द्वेष हिंसा बैर से मत काम लो
आदमी को प्रेम की दरकार है
देश के हक़ में जो होते ही नहीं
ऐसे निर्णय लेती क्यों सरकार है
कल तलक वादे कई तुमने किये
आज क्यों हर बात से इंकार है
१ नवंबर २०१९ |