अनुभूति में
अनामिका
सिंह की रचनाएँ-
गीतों में-
अनुसंधान चरित पर तेरे
अम्मा की सुध आई
चिरैया बचकर रहना
नाखून सत्ता के
राजा बाँधे शगुन कलीरे
अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है |
|
चलो दोनों चलें
चलो दोनों चलें मिलकर जहाँ झरने
उतारे हों
गगन पर मेघ श्यामल हों भरे-पूरे किनारे हों
न कोई हो वहाँ बैरी सजन अपनी मिताई का
सभी हों चाहने वाले सभी सच्चे इशारे हों
गिने पल कोई मिलने के न मिलने की घड़ी देखें
लगें जो भी ठहाके बस हमारे हों तुम्हारे हों
चुरायें आँख का काजल रहें कुछ दूर ही उनसे
बसायें हम जहां अपना जहाँ शीतल नज़ारे हों
मुहब्बत में 'अना' अब तो नया कोई मुक़ाम आए
जहाँ अम्बर में नदियाँ हों धरातल पर सितारे हों
१ नवंबर २०१९ |