अनुभूति में
अनामिका
सिंह की रचनाएँ-
गीतों में-
अनुसंधान चरित पर तेरे
अम्मा की सुध आई
चिरैया बचकर रहना
नाखून सत्ता के
राजा बाँधे शगुन कलीरे
अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है |
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नाखून सत्ता के
चुपचाप बैठे हो मगन क्यों
भेजिए लानत सभी
नाखून सत्ता के तुम्हारी
गर्दनों तक आ गए
भाट -चारण होश खो मदहोश
हैं रनिवास में
कल यही गतिविधि लिखी जानी
है तय इतिहास में
लीन स्तुति में रहे
बाँधे नयन पर पट्टियाँ
वो छीनकर हक का निवाला
लो तुम्हारा खा गए
खा रही दीमक विचारों की
धरा ये भुरभुरी
हो रहा षड़यंत्र कलियों पर
रखे माली छुरी
छल झूठ ने सच की जमीनें
छीन ली है पाँव से
लो बतकही करते कलंदर
गद्दियाँ भी पा गए
ज़ुल्म के आगे निहत्थे अब
खड़े हैं हम सभी
प्रतिरोध मिलकर सब करो
है धार क़लमों में अभी
मतभेद सारे भूलकर सब
एक हो अब न्याय हित
इन सिरफ़िरों को ज्ञात हो
वे लोक से टकरा गए
१ फरवरी २०२२ |