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अनुभूति में अनामिका सिंह की रचनाएँ-

गीतों में-
अनुसंधान चरित पर तेरे
अम्मा की सुध आई
चिरैया बचकर रहना
नाखून सत्ता के
राजा बाँधे शगुन कलीरे
 

अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है

 

रोग है पैसा कमाना

रोग है पैसा कमाना हर भलाई छोड़कर
कब भला समझेंगे वो अपनी ढिठाई छोड़कर

चल दिए हम दर से तेरे आज लेकर चश्म -ए -तर
और थे तुम चुप खड़े अपनी खुदाई छोड़कर

दाल पतली खा रहे सीमा पे क्यों मेरे जवान
अब न कुछ भी सूँघती खादी मलाई छोड़कर

श्वास थामे थे डटे जो शीत में बरसात में
कुछ नहीं उनको मिला सूनी कलाई छोड़कर

रोग में राहत मिलेगी वैद्य ने ताक़ीद की
पथ्य में सब कुछ चलेगा गुड़ खटाई छोड़कर

जान थी मैं चाँद थी मैं और जग का नूर थी
झूठ जुमले हो गये सब जगहँसाई छोड़कर

क्या करेंगे देश का ये हाल कहती है ‘अना’
राह जाते हैं जो खुद अपनी बताई छोड़कर

१ नवंबर २०१९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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