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१८. १०. २०१०

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जाने किस घाट लगे

 

जाने किस घाट लगे
नाव यह पुरानी

खेवट हैं
आपस में तालमेल खो चुके
कबसे ये नई नई लहरों के हो चुके
सागर बेचैन
नई आँधी है आनी

जाने किस घाट लगे
नाव यह पुरानी

प्यास की
मछलियाँ हैं, पानी के कहकहे
उलटी धाराओं को अंतरीप सह रहे
डूबती दिशाओं में
धुंध की कहानी

जाने किस घाट लगे
नाव यह पुरानी

पछुवा की
बरजोरी, करती है बतकही
गैरों के डाँड और पतवारें हैं सही
शायद पड़ जाएँ बड़ी
कीमतें चुकानी

जाने किस घाट लगे
नाव यह पुरानी

-डॉ. राधेश्याम शुक्ल

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
   
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