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अभिव्यक्ति  

१४. ६. २०१०

अंजुमन उपहार काव्य संगमगीत गौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

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हादसे ही हादसे
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  बाजुओं में
उफ़, अचाहे ही कसे,
हादसे, बस, हादसे ही हादसे।

चाह थी सब
लोग आपस में रहें,
प्रेम, श्रद्धा, स्नेह, सुख से, मेल से।
क्या पता था,
स्वार्थ निर्मित ट्रैक पर,
कटेंगे हम, नफ़रतों की रेल से।

और भोले
यात्रियों की नियति पर,
व्यंग्य बेपरवाह सिग्नल ने कसे।

मकबरों में
बदल जाना घरों का,
यातनाओं का बहुत लंबा सफ़र।
देखकर भी
लोग क्यों पढ़ते नहीं,
इस तरह पल-पल बिखरने की ख़बर।

फितरतें हर
पल जहाँ पर दाँव दें,
चाहकर भी आदमी कैसे हँसे?

-- अजय गुप्त

इस सप्ताह

गीतों में-
कार्यशाला-८ से चुने हुए १७ गीत

अंजुमन में-
शाहिद नदीम

छंदमुक्त में-
नंदलाल भारती

क्षणिकाओं में-
विजय सिंह नाहटा

पुनर्पाठ में-
प्रिया सैनी

अनुभूति के २१ जून का अंक कमल विशेषांक होगा। इसके लिए कमल पर आधारित काव्य रचनाएँ आमंत्रित हैं। रचना गीत, गज़ल, छंदमुक्त, हाइकु, दोहा आदि किसी भी विधा में हो सकती हैं लेकिन उनका विषय कमल ही होना चाहए। रचनाएँ देर से देर हमारे पास जून की बीस तारीख तक अवश्य पहुँच जानी चाहिये।


पिछले सप्ताह
जून २०१० के अंक में

गीतों में-
शंभु शरण मंडल

अंजुमन में-
प्राण शर्मा

छंदमुक्त में-
अवतंस कुमार

दोहों में-
जयजयराम आनंद

पुनर्पाठ में-
राजेश पंकज

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
   
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