शाहिद नदीम
शाहिद नदीम
आगरा में जन्मे। पढाई-लिखाई के बाद उन्होंने साहित्य और कविता
को अपने जीवन के विशेष उद्देश्य की तरह स्वीकार किया और सूरज
को भी निगलने की कोशिश में लगे अंधेरों के विरुद्ध सच एवं ईमान
का दिया उठाये निकल पड़े।
पहली गजल १९६२ में समां में छपी और फिर लगातार लिखते-छपते रहे।
देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ
छपीं। वे ऐवाने-मीर के संस्थापक, बज्मे-मैकश, समए-अदब और
साहित्य सुगंध में पदाधिकारी है। शाहिद नदीम साफ और बेबाक
गज़लगोई में एक बड़ा नाम है, जिसने आगरा का नाम रोशन किया है।
संप्रति वे आगरा के साहित्यिक संसार में सक्रिय हैं।
ई-मेल-
raisubhash953@gmail.com
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अनुभूति में शाहिद नदीम की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
किसी फरेब से
तसव्वुर में तेरा चेहरा
दिल दुखाता है
हर नफस को खिताब
अंजुमन में-
उसी फिजां में
देखते हैं
नस्ले-आदम
शब का सुकूत
सुनहरी धूप
का मंजर
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