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अनुभूति में रामकिशोर दाहिया की रचनाएँ-

गीतों में-
उल्टी धार बहें
दुनिया देखी
बूँदों से सोम झरे
मेरे अन्दर रहना
लोग बस्ती के

 

उल्टी धार बहें

भागदौड़ की रोटी देखें
या फिर भूख सहें
किसको पकड़ें, किसको छोड़ें
किसके बीच रहें

शक्कर, दूध, चाय की पत्ती
सब्जी, गरम मसाला
दिन निकले से ढले साँझ हम
लौटे लिये निवाला

रिश्ते-नाते मीत, पड़ोसी
उल्टी धार बहें

घिरनी जैसा रोज़ घूमना
दम से दम को साधे
काम-काज में कम पड़ते हैं
चौबिस घण्टे आधे

घण्टे, घड़ी, मिनट सब तड़के
उठतै उठत दहें

दफ्तर के आदेश कायदे
घर को नाच नचाते
मन का चैन खुशी के पल-छिन
लम्बे पाँव लगाते

हुकुम बजाकर बीवी- बच्चे
कितना और ढहें

१ फरवरी २०२३

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