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अनुभूति में रामकिशोर दाहिया की रचनाएँ-

गीतों में-
उल्टी धार बहें
दुनिया देखी
बूँदों से सोम झरे
मेरे अन्दर रहना
लोग बस्ती के
 

 

बूँदों से सोम झरे

सावन की रिमझिम फुहार
बूँदों से सोम झरे
बदली जैसे आसमान से
भू पर होम करे

झाँझ-मँजीरे पर्ण बने हैं
टीमकी छत-छानी
राई कजरी गाकर थिरके
ऋतुओं की रानी

अपनी बाहों में वसुधा को
फिर से व्योम भरे

लड़कों जैसा घर का पानी
खेले खोर-गली
झर-झर की अनुगूँज बदलकर
छुक-छुक रेल चली

पाँव-पाँव में चलकर बचपन
पत्थर मोम करे

देहरी से परछी तक संध्या
दिन के लेख पढ़े
शीश महल की खिड़की खुलकर
अपने अर्थ गढ़े

अँखुवाए बीजों के मुख से
निकले ओम हरे

१ फरवरी २०२३

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