| अनुभूति में
                    डॉ. इसाक 'अश्क' की रचनाएँ- 
                     गीतों में-अलस्सुबह
 कंठ का कोहनूर
 चुनावी शोर
 दिन सुगंधों के
 फाल्गुन गाती हुई
 धूप दिन
 बौर आए
 सपनों के घोड़े
 संकलन में-मेरा भारत-
					
					भुवन क्या कहेगा
 वासंती हवा-
					ऋतु फगुनाई 
					है
 |  | कंठ का कोहनूर फाग के
                                        हस्ताक्षर
 पढ़ती हवाएँ
 दिन 
                                        सुमेरु स्वर्ण टुकड़े-सा तपायाकंठ का कोहनूर वन में सुगबुगाया
 रूप रति-सा
 चौतरफ़
 गढ़ती हवाएँ
 इंगुरी 
                                        आलोक में डूबे सिवानेपथ लगे अलकापुरी से महमहाने
 विंध्य शिखरों
 पर लहक
 चढ़ती हवाएँ
 १ मार्च 
                                        २००६ |