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अनुभूति में आभा खरे की रचनाएँ-

गीतों में-
अवसादों का अफसाना
उन्मादी भँवरा डोल रहा
कुछ मनन करो
जीतना मुश्किल नहीं
धार के विपरीत बहना
मन बाँध रहा संबन्ध नया

माहिया में-
मन की जो डोर कसी

संकलन में-
दीपावली- चाँद अँधेरों का
शिरीष- महके फूल शिरीष के
चाय- अदरक वाली चाय
पतंग- चुलबुली पतंग
ममतामयी- माँ तुझे प्रणाम
जलेबी- रस भरी जलेबी
होली है- इंद्रधनुषी रंग
कनेर- फूलों की चमक

पिता के लिये-
पिता

 

उन्मादी भँवरा डोल रहा

नया सवेरा, नवल सृजन की लिए दुआएँ
साँस-साँस वासंती खुशबू घोल रहा है

खेत सजे सरसों के जैसे कोई मंडप
पीली पगड़ी ऋतुराजा के सर पर भाये
धूप कह रही शुभ मंगल, शुभ आए अवसर
चहुँ-दिश बिखरे रंग खुशी की घड़ी सुहाए

किसी नवोढ़ा के सपनों सा रूप सजाने
मौसम खुशबू वाली डिबिया खोल रहा है

क्यारी-क्यारी फूल हँसें औ', झूमें पाती
खुशियाँ लेकर लौटे रसमय दिन मौसम के
कुहु-कुहु कोयल की गुंजित बाग-बगीचे
फागुन की आहट सुन थिरका महुआ जम के

फूल-शहर में मची हुई ये कैसी हलचल
कली-कली उन्मादी भँवरा डोल रहा है

ठूँठ हुए वृक्षों पर भी नव कोंपल चहकी
टहनी पर ठहरी हों जैसे लाख दुआएँ
बौराया है आम और है दहका टेसू
चूमें छुप-छुप कर पत्तों को ढीठ हवाएँ

साथ लिए मधुमास गीत की मादक रुनझुन
मौसम के पग-पग में घुँघरू बोल रहा है

१ नवंबर २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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