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अनुभूति में आभा खरे की रचनाएँ-

गीतों में-
अवसादों का अफसाना
उन्मादी भँवरा डोल रहा
कुछ मनन करो
जीतना मुश्किल नहीं
धार के विपरीत बहना
मन बाँध रहा संबन्ध नया

माहिया में-
मन की जो डोर कसी

संकलन में-
दीपावली- चाँद अँधेरों का
शिरीष- महके फूल शिरीष के
चाय- अदरक वाली चाय
पतंग- चुलबुली पतंग
ममतामयी- माँ तुझे प्रणाम
जलेबी- रस भरी जलेबी
होली है- इंद्रधनुषी रंग
कनेर- फूलों की चमक

पिता के लिये-
पिता

 

जीतना मुश्किल नहीं

जीतना मुश्किल नहीं
बस हारने मन को न देना

कह रही उम्मीद सुन लो
रात ही लाती सवेरे
यों तिमिर की शाख पर ही
जुगनुओं के हैं बसेरे

आँधियों से लड़ रहें जो
दीपकों से सीख लेना

चल पड़े जो कर्म-पथ पर
साथ होती सब दिशायें
हमकदम बन चल पड़ेंगी
संग कितनी ही दुआयें

राह भी आसान होती
गर विषमता से डरे ना

हो समय प्रतिकूल तो क्या
जिन्दगी अवसर कई दे
बन्द दरवाजे सभी जब,
खोल खिड़की इक नयी दे

है सफर नाकामियों का
सब्र का दामन छुटे ना

१ नवंबर २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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