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                  अनुभूति में प्रेम माथुर 
                  की रचनाएँ 
                  
                  कविताओं में- 
                  2 अक्तूबर की याद में 
                  खाली झोली 
                  गुलमोहर 
                  जड़ें 
                  धूप खिली है 
                  बापू की याद 
                  
                  क्षणिकाओं में- 
                  आठ क्षणिकाएँ 
                  
                  संकलन में- 
                  नया साल-
                  जश्न 
                  नए साल का 
                   | 
                  | 
          
                
                  गुलमोहर 
                  मरुदेश की 
                  त्रिप्रहर गर्मियों की 
                  बाल स्वाद की खट्टी मीठी 
                  स्वर्णमोहर गुलों की 
                  लाल सुनहरी पंखुड़ियाँ हैं 
                  गुलमोहर की। 
                  युवा सूखी आँखों में 
                  तपती साँसों में 
                  ठंडक 
                  फैली सूनी बाहों में 
                  डाल बहियाँ  
                  गुल मोहर की। 
                  घनी डालों में 
                  मेहआओ मेहआओ  
                  पुकारते मयूर प्यासे  
                  तपते निश्वासों गहरी प्यासों में 
                  एक दिलासा और एक आशा 
                  हरित छैंया डाल बहियाँ  
                  गुलमोहर की। 
                  थके मन में  
                  खट्टी मीठी  
                  धूप छैंया 
                  यादें हैं गुलमोहर की। 
                  ११ अगस्त २००८  |