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 जश्न नए साल का 
   
जाम पे जाम कभी किसी के  
कभी किसी के नाम 
आज नए साल के नाम। 
पुराने साल के अवसान का गम 
या नए साल की खुशी  
जाम पे जाम चलते रहें 
आइटम नंबर होते रहें 
मस्त-मस्त मदहोश हम होते रहें। 
जश्न पे जश्न सच्चाई भुलाने के काम 
नई आशाएँ नया साल लाता नहीं  
हम देते हैं भुलावे अपने आप को 
साल दर साल वही वादे वही इरादे 
वही शांति वार्ताएँ वही झूठा मेल 
वही नई तैयारियाँ युद्ध की 
मुँह में राम बगल मे छुरी का 
वही पुराना खेल 
फिर नई आशाएँ नए साल की 
नए इरादे हर साल की तरह 
इस बार भी समय की नदिया में 
फिसल कर खो न जाएँ 
काग़ज़ की नावें नवल आशाएँ 
डूब न जाएँ फिर
खलयुग के  
गहन सागर में सत्यधर्म के सपने 
टूट बिखर न जाएँ झूठ की कगारों से 
पकड़ पक्की रखनी होगी 
सत्य मंत्र दोहराने होंगे प्रतिदिन 
करना होगा सतत धर्मयुद्व 
दुष्कर्मी जननेताओं से 
जड़ धर्मनेताओं से 
उजड्ड दुराचारी दादाओं से। 
तब होगा सफल शुभ सप्तम वर्ष 
इक्कीसवीं सदी का। 
प्रेम माथुर 
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