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नव वर्ष अभिनंदन
2007

    मंगलमय हो नव वर्ष

 

मंगलमय हो नव वर्ष तुम्हारा
प्राणों से बढ़कर यह क्षण है
नित नूतन मृदु साज मदन है
भावों के उर्मिल सागर में
बिंबित है छवि चित्र तुम्हारा
मंगलमय हो नव वर्ष तुम्हारा

उर सहकार सुघर पुष्पित हो
देह लता तब आलिंगित हो
गुँजे मधुकर के मधुरव में
हँसे हृदय का छंद तुम्हारा
मंगलमय हो नव वर्ष तुम्हारा

नई चेतना भाव अमर हों
नव उछाह का राग सुघर हो
जीवन के हर प्रात क्षितिज पर
उषा तिलक दे शीर्ष तुम्हारा
मंगलमय हो नव वर्ष तुम्हारा

बाबूलाल मधुकर

 

जश्न नए साल का

जाम पे जाम कभी किसी के
कभी किसी के नाम
आज नए साल के नाम।
पुराने साल के अवसान का गम
या नए साल की खुशी
जाम पे जाम चलते रहें
आइटम नंबर होते रहें
मस्त-मस्त मदहोश हम होते रहें।

जश्न पे जश्न सच्चाई भुलाने के काम
नई आशाएँ नया साल लाता नहीं
हम देते हैं भुलावे अपने आप को
साल दर साल वही वादे वही इरादे
वही शांति वार्ताएँ वही झूठा मेल
वही नई तैयारियाँ युद्ध की
मुँह में राम बगल मे छुरी का

वही पुराना खेल

फिर नई आशाएँ नए साल की
नए इरादे हर साल की तरह
इस बार भी समय की नदिया में
फिसल कर खो न जाएँ
काग़ज़ की नावें नवल आशाएँ
डूब न जाएँ फिर खलयुग के
गहन सागर में सत्यधर्म के सपने
टूट बिखर न जाएँ झूठ की कगारों से
पकड़ पक्की रखनी होगी
सत्य मंत्र दोहराने होंगे प्रतिदिन
करना होगा सतत धर्मयुद्व
दुष्कर्मी जननेताओं से
जड़ धर्मनेताओं से
उजड्ड दुराचारी दादाओं से।
तब होगा सफल शुभ सप्तम वर्ष
इक्कीसवीं सदी का।

प्रेम माथुर

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