| तुम्हारा स्पर्श तुम्हारा स्पर्श शून्य-नेत्रों से गिरी बूँद
 रश्मि-स्रोतों से प्रथम साक्षात्कार
 दीर्घ-साधना की अनन्य उपलब्धि
 तुम्हारा स्पर्श आत्म का स्फुरण विशुद्ध
 चेतना-कंठ में कम्पित प्रार्थना-स्वर
 अचेतस को तत्क्षण चेतस-बुद्धि।
 तुम्हारा स्पर्श पुष्प-कलि के विकसन का आमोद
 स्थैर्य को निरन्तरता का सूत्र
 आनन्द की विभोरता का लघु-प्रहसन
 तुम्हारा स्पर्श रूठेपन का मधु-स्मित-अनुरोध
 सहज भाव-नर्तन का चित्र-विचित्र
 'मैं'-'तुम' विलयन का सहज संचरण।
 २९ सितंबर २००८ |