| समुद्र की लहरें 
                  समुद्र की लहरेंकितने जोश में
 कितने वेग से
 चली आतीं हैं
 इतराती, मंडराती
 किनारे की ओर।
 और रह जातीं हैंअपना सर फोड़कर
 किनारे की चट्टानों पर।
 लहर ख़त्म हो जाती है
 रह जाता है-
 पानी का बुलबुला
 थोड़ा-सा झाग।
 लहरें निराश नहीं होतींहार नहीं मानतीं।
 चली आती हैं
 बार-बार, निरंतर, लगातार
 एक के पीछे एक।
 एक दिन सफल होती हैंतोड़कर रख देती हैं
 भारी भरकम चट्टान को
 पर फिर भी शांत नहीं होतीं
 आराम नहीं करतीं।
 इनका क्रम चलाता रहता है।चट्टान के छोटे-छोटे टुकड़े कर
 चूर कर देतीं हैं-
 उनका हौसला, उनके निशान।
 बना कर रख देतीं हैं
 रेत
 एक बारीक महीन रेत
 समुद्र तट पर फैली
 एक बारीक महीन रेत।
 २४ मार्च २००८ |