| सभ्यता की पहचान 
                  कचरे के ढेर पर-प्लास्टिक की थैलियाँ
 भिनभिनाती मक्खियाँ
 पास खड़ा कुत्ता
 कचरे को कुरेदती
 उसमें खाना ढूँढ़ती
 लाचार आँखें
 पास ही
 लुका-छिपी खेलते बच्चे।
 यह सब देखकर मैं समझ गयामैं जंगल के बाहर आ गया हूँ
 किसी शहर के पास हूँ।
 अब जंगली लोगों काकोई भय नहीं
 मैं अब सभ्य लोगों के बीच हूँ।
 मैं समझ गया-मैं सभ्य लोगों के बीच हूँ।
 २४ मार्च २००८ |