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  गुमशुदा मानसून 
कुछ पर्यावरण प्रेमियों के, 
प्रकृति को बचाने की कोशिशें, 
जिनके हाथ लगती है- 
एक तपती हुई दोपहरी 
और तड़पती देहों का मेला।। 
मौसम विभाग की सलाह 
अनदेखे ऊसरी दस्तावेज़, 
मुँह चिढ़ाते, 
धूप में खेतिहर मजूर- 
साधना के वादे निभाते।। 
उन्हें भी हासिल है, 
तपती दोपहरी, 
और तड़पती देह का मेला।। 
मेधा से बहुगुणा तक अनशनरत तपस्वी, 
रियो-डि-जेनरियो के दस्तावेज़। 
उगाने को तत्पर- 
नई प्रकृति - नए अनुदेश। 
मिलेगी-हमें- 
दरकती भू 
तपती दोपहरियाँ 
और तड़पती देहों का मेला। 
24 अप्रैल 2007 
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