| अनुभूति में 
					
					भूपेन्द्र सिंह 
					की रचनाएँ- 
					
                  अंजुमन में-जो दुश्मन हुआ
 तेरी इस ख़ुशनुमाई
 दुश्मन अगर अजीज हो
 बेकार मत सुना
 रूह के भीतर
 |  | तेरी इस ख़ुशनुमाई 
                  तेरी इस ख़ुशनुमाई के अगर चर्चे नहीं होते मुहब्बत से ही दुनिया है ये सब कहते नहीं होते
 
 ज़रूरी है ज़ुबां पर हों वही बातें जो दिल में हैं
 कि ये शीरीं ज़ुबां वाले सभी अच्छे नहीं होते
 
 अगर शाइस्तगी-ओ-ज़र्फ़ का ही दौर ये होता
 तो दहशतग़र्द हैवानों के ये चेहरे नहीं होते
 
 जो सब इंसानियत ही सीखते हर एक मज़हब से
 तो बहते ख़ून के मंज़र से हम सहमे नहीं होते
 
 नक़ल करते न मग़्रिब की, अगर खुद्दार होते हम
 तो इस तहज़ीब के ये परख़चे उड़ते नहीं होते
 
 ज़हानत के चराग़ों से जहां में रौशनी रहती
 यों अंगारों में नफ़रत के बशर जलते नहीं होते
 
 हमेशा "होश" ज़िम्मेदारियाँ ही गर निभाते हम
 तो यों इंसानियत के भी कभी टुकड़े नहीं होते
 १ सितंबर २०२३ |